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17 आबान 1389

    बिस्समिल्लाह अर रहमान अर रहीम و الحمد لله رب العالمین و صلی الله علی سیدنا محمد المصطفی و أله الطیبین و صحبه المنتجبین काबा एकता और इज़्ज़त का राज़, तौहीद और मानवीयत की निशानी, हज के ज़माने में चाहत रखने वाले और उम्मी

 
 
बिस्समिल्लाह अर रहमान अर रहीम
و الحمد لله رب العالمين و صلي الله علي سيدنا محمد المصطفي و أله الطيبين و صحبه المنتجبين
काबा एकता और इज़्ज़त का राज़, तौहीद और मानवीयत की निशानी, हज के ज़माने में चाहत रखने वाले और उम्मीद रखने वाले दिलों का मेज़बान है कि जिसकी तरफ़ पूरी दुनिया के लोग अल्लाह की दावत पर लब्बैक कहते हुए इस्लाम की जन्मभूमी की तरफ़ दौडते हुए आए हैं। इस्लामी उम्मतें इस वक़्त अपने बेमिसाल और लाजवाब होने को उस गहरे ईमान कि जो दीने हनीफ़ के मानने वालों के दिलों पर हुकूमत करता है, उसकी छोटी सी तस्वीर को दुनिया के चारों कोनों से आए हुए लोगों की शक्ल मे देख सकती हैं और इस बहुत बडी नेमत को सही तरह से पहचान सकती है।
ये अपने आप की पहचान इस बात में मदद करती है कि मुसलमान आज और आने वाले दिनों में इज़्ज़त की जगह बना सकें और उस की तरफ़ बढें।
आज की दुनिया में इस्लामी बेदारी की लहरें एक ऐसी हक़ीक़त है कि जो उम्मते इस्लामी को अच्छे कल की ख़ुशख़बरी सुना रही है। तीन दशक पहले कि जब इस्लामी इंक़लाब की कामयाबी और इस्लामी गंणतंत्र ईरान की हुकूमत बनी, ये ताक़तवर क्रांती शुरू हुई। हमारी अज़ीम उम्मत ने बग़ैर रुके आगे बढते हुए और तमाम रुकावटो को हटाते हुए कई मोरचों पर विजय प्राप्त की। साम्राजी ताक़तों की दुश्मनी के तरीक़ों का और पेचीदा हो जाना और इस्लाम के मुक़ाबले में हर तरह की नीति का प्रयोग करना भी इस तरक़्क़ी के नतीजे में है। इस्लाम से ख़ौफ़ज़दा करने के लिये किये जाने वाले प्रचार, इस्लामी फ़िरक़ों के दरमियान कोशिश, शीयों के ख़ेलाफ़ सुन्नियों को और सुन्नियों के ख़ेलाफ़ शीयों को झूठे प्रचारों से एक दूसरे का दुश्मन बनाना, इस्लामी हुकूमतों के बीच टकराव पैदा करना और एख़्तेलाफ़ को गहरा करते हुए दुश्मनी और नाक़ाबिले हल झगडों में बदलने की कोशिश, जासूसी एजेंसियों के ज़रिये जवानों के बीच बुराई फैलाने के लिये इस्तेमाल करना ये सब के सब इस्लामी उम्मत के आगे बढने और इज़्ज़त, बेदारी और आज़ादी की तरफ़ साबित क़दमी के साथ बढने का, घबराया हुआ और परेशान हाल रिएक्शन है।
आज तीस साल पहले के बर ख़ेलाफ़ इस्राईली (ग़ासिब)हुकूमत नाक़ाबिले शिकस्त ड्रैकुला की तरह नही है। बीस साल पहले के बर ख़ेलाफ़ अमरीका और यूरोपी मिडिल ईस्ट देशों में किसी रोक टोक के बग़ैर भी फ़ैसला करने के क़ाबिल नही रहे। दस साल पहले की तरह परमाणु परीक्षण केंद्र, दूसरी नयी टेक्नालाजियाँ, इलाक़े के मुसलमानों के लिये उनकी पहुँच से दूर और ख़्याली चीज़ नही रह गयी है। आज फ़िलिस्तीनी क़ौम अपनी पायेदारी और इस्तैक़ामत की राह में फ़ातेह की हैसियत रखती है। लेबनानी क़ौम अकेले ही इस्राईली हैबत के घेराव को तोडने वाली और 33 दिन की जंग की फ़ातेह है। और ईरानी क़ौम बुलंदी की तरफ़ बढते हुए क़ाफ़ले की परचम दार है।
आज ज़ालिम अमरीका इस्लामी इलाकों का मुहँ बोला हाकिम और इस्राईलियों का अस्ली पुश्त पनाह अफ़्गानिस्तान में अपने बिछाए जाल में फस चुका है। ईराक़ में उन तमाम ज़ुल्मों के साथ जो उसने इस देश के लोगों पर किये हैं बिखर जाने के कगार पर है। मुसीबत ज़दा पाकिस्तान में पहले से ज़्यादा नफ़रत की निगाह से देखा जा रहा है। आज इस्लाम मुख़ालिफ़ मोर्चे कि जो दो सदियों से इस्लामी क़ौमों और हुकूमतों पर ज़ालिमाना क़ब्ज़ा किये हुए थे उनके क़ुदरती ख़ज़ानों को हडप लेते थे। अपनी दख़ल अंदाज़ी के कम होने और मुसलमान क़ौमों की अपने मुक़ाबले में दिलेराना साबित क़दमी को देख रहा है।
और उस के बर अक्स इस्लामी बेदारी का कारवाँ तरक़्क़ी और रोज़ ब रोज़ अमीक़तर होने की राहों में अग्रसर है। ज़रूरी है कि ये उम्मीद जगाने और ख़ुश ख़बरी देने वाले हालात जहाँ एक तरफ़ हमें हमेशा से ज़्यादा मुतमइन तौर पर अच्छे भविष्य की तरफ़ बढाएं वहीं दूसरी तरफ़ अपनी इबरतों के साथ हमेशा से ज़्यादा होशियार करें। ये आम ख़ेताब बेशक ओलमा ए दीन, सियासी रहबरों, रौशन फ़िक्रों और जवानों को दूसरों से ज़्यादा पायबंद करता है और उनसे मेहनत और पेशक़दमी का तलबगार है। क़ुराने करीम साफ़ लफ़्ज़ों में हमें ख़ेताब करते हुए कहता है कि كُنتُمْ خَيْرَ أُمَّةٍ أُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ تَأْمُرُونَ بِالْمَعْرُوفِ وَتَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنكَرِ وَتُؤْمِنُونَ بِاللَّـهِ
كُنتُمْ خَيْرَ أُمَّةٍ أُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ تَأْمُرُونَ بِالْمَعْرُوفِ وَتَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنكَرِ وَتُؤْمِنُونَ بِاللَّـهِ
इस ख़ेताब में उम्मते मुस्लेमाँ पूरी बशरियत के लिये इज़्ज़त दार क़ौम के तौर पर ज़ाहिर हुई है इस उम्मत की ख़िल्क़त का मक़सद इंसान की नजात और उस की भलाई है।
इस उम्मत की ज़िम्मेदारी, नेकी का हुक्म देना, बुराई से रोकना और ख़ुदा पर सच्चा ईमान रखना है। कोई भी नेकी क़ौमों को इस्तेक्बार की शैतानी ताक़तों के चंगुल से रिहाई दिलाने से बढ कर नही है और कोई भी बुराई इस्तेक्बारी ताक़तों से वाबस्ता होने और उनकी ख़िदमत करने से बदतर नही है। आज फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा में घेरा बंदी के शिकार होने वालों की मदद, अफ़्ग़ानिस्तानी, पाकिस्तानी, ईराक़ी और कश्मीरी क़ौमों के साथ हमदर्दी और हमराही, अमरीका और ग़ासिब इस्राईल के ज़ुल्म के मुक़ाबले में जिद व जहद, इस्लामी इत्तेहाद का ख़्याल रखना, आलूदा हाथों और ऐसी बिकी हुई ज़बानों से- कि जो इस इत्तेहाद को ठेंस पहुँचाती हैं- मुक़ाबला करना, बेदारी और अपनी ज़िम्मेदारी पर अमल पैरा रहने और अपना फ़र्ज़ समझने का एहसास तमाम इस्लामी तब्क़ों के मुस्लिम जवानों में जगाना, ये ऐसी ज़िम्मेदारियाँ हैं कि जो उम्मत के ख़वास से मरबूत हैं।
हज का अज़ीमुश्शान नज़ारा और मौक़ा हमारे लिये इन ज़िम्मेदारियों को पूरा करने का ज़मीना फ़राहम करता है और हमें ज़्यादा कोशिशें करने और हज का अज़ीमुश्शान नज़ारा और मौक़ा हमारे लिये इन ज़िम्मेदारियों को पूरी करने का ज़मीना फ़राहम करता है और हमें ज़्यादा कोशिशें करने और बुलंद हिम्मत रहने की तरफ़ दावत देता है।
 
वस्सलामो अलैकुम
सैयद अली हुसैनी ख़ामेनई
1 ज़िल् हिज्जह 1431 हिजरी
17 आबान 1389
 
 


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